आज से आरव मर गया
आर्यन चैप्टर 15
अब तक आपने पढ़ा जीनी और आरव की शादी हो जाती है कौशल्या जी जब अंदर आती हैं तो अंदर का नज़ारा देख दंग रह जाती हैं.....
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अब आगे
रंधीर के पिता और रंधीर ने धर्मवीर का गला दबा रखा था... रंधीर के पिता
धर्मवीर के गले पर अपनी पकड़ कसते हुए कहते हैं "क्यों बे बुड्ढे, मेरे बेटे को ये रियासत मिलनी चाहिए थी, और तूने उस लड़की के नाम कर दी, और शादी भी की तो ऐसे लड़के के साथ"
तभी रंधीर की नज़र कौशल्या जी पर पड़ती है, कौशल्या जी को जब एहसास होता है की उन्हें रंधीर ने देख लिया है, तो वो वहाँ से भागने लगती हैं लेकिन रंधीर उन्हें पकड़ लेता है, और कमरे में धक्का दे देता है
कौशल्या जी अपना पल्लू सही करते हुए केहती हैं "भाई सा आपने बापूसा को मार दिया, आपको ज़रा भी शरम नहीं आई"
रंधीर कुछ कहता उससे पहले ही उसके पिता कहते हैं "रंधीर इसे भी खतम कर दे नहीं तो हमारा प्लैन खराब कर देगी"
रंधीर कौशल्या जी से नज़र फेरते हुए कहता है "बापुसा बड़ी सेवा की है कौशल्या बहू ने हमारी और हमारी पत्नी की, हम इसे नहीं मार सकते, हमे प्रॉपर्टी से मतलब है, वो मिलते ही हम इसे इसके परिवार के साथ यहाँ से निकाल देंगे"
वो दोनो कौशल्या जी को वहीं बंद कर देते हैं और बाहर आ जाते हैं, रंधीर और उसके बापुसा बाहर खड़े थे तभी उनकी नज़र आरव और जीनी पर जाती है,
रंधीर आरव को घूरते हुए कहता है, "इसे यहाँ से हटाना मुश्किल है और इसके रहते जीनी को खतम करना नामुमकिन है "
रंधीर के बापुसा कुछ सोचते हुए कहते हैं "जिसके लिए लड़ता है, आज उसके खिलाफ लड़ेगा"
रंधीर कंफ्यूज होते हुए कहता है "आप कहना क्या चाहते हैं? "
रंधीर के बापुसा, एक तिरछी मुस्कान के साथ वहाँ से चले जाते है, और रंधीर भी उनके पीछे-पीछे चल देता है
रंधीर के बापू सा बाहर आकर जीनी के पास जाते हैं और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं "बेटा आपको आपकी मासा बुला रही है"
जिनी भागती हुई अंदर चली जाती है और रणधीर के बापुसा भी वापस सबसे नजर बचा कर अंदर चले जाते हैं, जिनी अपनी मां को ढूंढते हुए कमरे में आती हैं तो कौशल्या जी परेशान होते हुए कहती हैं "जिनी बेटा आरव के पास जाओ तुम ,और उसी के पास रहना यहां से दूर चली जाओ"
जिनी कुछ कहती उससे पहले ही रणधीर अंदर आता है और जीनी के सामने झुकते हुए कहता है "देख छोरी या तो तू अपनी मां ने बचा ले या फिर शादी ने"
छोटी सी जिनी को कुछ समझ नहीं आता वह अपनी आंखें टिमटिमाते हुए रणधीर को देख रही थी। रणधीर उसे समझाते हुए कहता है "जा और जाकर आरव से बोल, कि तू उससे नफरत करती है ,और उसके साथ नहीं रहना चाहती क्योंकि उसने तुझसे सिर्फ दौलत के लिए शादी की है"
जिनी अपनी नम आंखों से उसे देखते हुए कहती हैं
"ताउसा आरव बहुत अच्छा है, वह मेरा ख्याल रखता है मैं उसके"...
रणधीर उसकी बात काटते हुए कहता है "बकवास बंद कर, तुझसे तेरी मर्जी नहीं पूछी है ,अगर वह यहां से नहीं गया तो मैं तेरे परिवार और तेरे पति सबको मार दूंगा"
जिनी डरते हुए कहती हैं "लेकिन ताऊसा"
रणधीर उसे घूरते हुए कहता है "मैंने कहा अभी जा"
जिनी वहां से चली जाती है और नीचे आकर देखती है तो सब खुश थे जिनी भारी कदमों से रोते हुए आरव के पास जाती है और उसके गले लग जाती है, आरव उसे रोता देख परेशान होते हुए खुद से दूर करता है।
और उसके आंसू पूछते हुए कहता है "क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो?
जिनी उससे दो कदम दूर होती हैं और गुस्से में कहती है "चले जाओ तुम यहां से"
उसकी बात सुन आरव उसे घूरते हुए कहता है "क्या बकवास कर रही हो तुम"
जिनी उसे घूरते हुए तेज आवाज में कहती है "तुमने मुझसे मेरी दौलत के लिए शादी की है ,ताकि तुम्हें मेहनत ना करनी पड़े , तुम मुझसे प्यार नहीं करते हो ,इसलिए जाओ यहां से, चले जाओ मैं तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहती"
आरव उसकी बाजू पकड़ते हुए कहता है "तुम जितनी चाहे नौटंकी कर लो मैं तुम्हें लिए बिना कहीं नहीं जाऊंगा समझी तुम"
श्लोक जी उसे समझाते हुए कहते हैं "बेटा यह आप क्या कह रही हैं, आप तो आरव को बचपन से जानती हैं ना,फिर ऐसी बातें क्यों? "
जिनी कोई जवाब नहीं देती
आरव उसे घूरते हुए कहता है
"तुम्हें सच में लगता है मैं ऐसा कर सकता हूं? "
जिनी चीखते हुए कहती हैं "हां तुम ऐसा कर नहीं सकते हो, तुमने ऐसा ही किया है और मैं तुमसे नफरत करती हूं, समझे तुम नफरत करती हूँ मै तुमसे, चले जाओ यहाँ से"
आरव कुछ पल जिनी को देखता है फिर कहता है "आज जा रहा हूं, और आज से आरव मर गया, लेकिन तुम ......मिस जिनी मित्तल, सिर्फ और सिर्फ आरव की रहोगी ,सिर्फ मेरी, मैं तुम्हें कभी किसी का नहीं होने दूंगा"
इतना कह वह वहां से चला जाता है और जीनी कर्मवीर जी के पास आकर उन्हें सब बता देती हैं, श्लोक जी आरव के पीछे जाना चाहते थे लेकिन वक्त की नजाकत को समझते हुए वह भी वहीं रुक जाते हैं
जिनी की बात सुन कर्मवीर जी गुस्से में अंदर आते हैं और उन्हीं के पीछे श्लोक और रंजना जी भी
करमवीर जी अंदर आते हैं और रंधीर का कॉलर पकड़ते हुए कहते हैं "आपने मेरे बापूसा को मार दिया, मैं आपको छोडूंगा नहीं"
रंधीर उससे अपना कॉलर छुड़वाते हुए कहता है "अपनी हद में रहो करमवीर, हमने हद पार की तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा"
करमवीर जी उन्हें घूरते हुए कहते हैं "आखीर वो आपके भी कुछ लगते थे, उन्हें मारते हुए आपने एक बार भी नहीं सोचा"
रंधीर गुस्से में उन्हें घूरते हुए कहता है "क्यों सोचूँ मैं, उन्होंने एक बार भी हमारे बारे में सोचा, नहीं ना फिर हम क्यों सोचें उनके बारे में"
करमवीर जी रंधीर के सामने खड़े होते हुए कहते हैं "मैं आपको कभी माफ नहीं करूँगा भाईसा, आप और ताऊसा को मैं जेल भिजवा कर रहूँगा"
करमवीर जी की बात सुन रंधीर हस्ते हुए कहता है "और तुम्हें लगता है, हम तुम्हें ये करने देंगे"
श्लोक जी कहते हैं "आप हमें नहीं रोक सकते"
रंधीर एक नज़र श्लोक जी को देखता है, फिर रंजना जी को और करमवीर जी को घूरते हुए कहता है "तेरी बेटी को इस रियासत की मालकिन बनाया था ना ताऊस ने, ये रियासत ही तेरी बेटी के मौत की वजह बनेगी करमवीर"
श्लोक जी रंधीर को घूरते हुए कहते हैं "तुम अगर उसे मार दोगे, तो ये सारी प्रॉपर्टी आरव के नाम हो जायेगी, और अगर आरव को कुछ हुआ तो ये एक सरकारी हवेली बनकर रह जायेगी"
रंधीर गुस्से मे श्लोक जी को घूरते हुए कहता है "ये सब तुम्हें कैसे मालूम है"
श्लोक जी एक तिरछी मुस्कान के साथ कहते हैं "तुमने बापूसा को कच्चा खिलाडी समझा था रंधीर, तुम्हारी उम्र से ज़ादा उन्होंने दुनिया देखी थी, इन कुछ दिनों में जो भी हुआ वो सब सोचा समझा खेल था तुम्हें फसाने के लिए"
श्लोक जी उदास होते हुए कहते हैं "लेकिन तुम इस हद तक गिर जाओगे, हमे ये अंदाज़ा नहीं था"
रंधीर कुछ सोचते हुए कहता है "लेकिन जहाँ तक मैं जानता हूँ, अगर जीनी और आरव साथ रहते हैं तब ये वसियात काम करेगी, और अगर दोनो साथ नहीं रहते और तब जीनी की मौत हो जाती है, तो ये रियासत तुम दोनों के नाम होगी"
फिर एक तिरछी मुस्कान के साथ कहता है "आरव तो चला गया, अब बची जीनी उसे मुझसे कौन बचाएगा"
क्या यहीं अंत हो जायेगा जीनी और आरव की कहानी का? क्या रंधीर मार पायेगा जीनी को? कहाँ गया आरव?
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी आर्यन इश्क़ की अनोखी दास्ताँ मिलते हैं अगले चेप्टर में तब तक के लिए बाय बाय
वानी
डॉ. रामबली मिश्र
18-May-2023 01:41 PM
Nice 👍🏼
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